बहरापन एवं जन्मजात बहरापन

बहरापन  एवं  जन्मजात बहरापन

The Facts

"होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति में ऐसी दवाएं है जिनके प्रयोग से पूर्ण रूप से बहरे बच्चों में सुनने की क्षमता लायी जा सकती है |"

होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति में बहरेपन का इलाज सम्भव - हमारी पाँच इन्द्रियों में से एक महत्वपूर्ण इन्द्रिय कान है |  कान के सुनने की क्षमता की वजह से ही हम एक दूसरे की बातों को समझ पाते हैं |  जब कोई व्यक्ति बोलता है तो ध्वनि तरगों के द्वारा हवा में एक कंपन पैदा होता है | यह कंपन कान के पर्दे एवं सुनने से सम्बंधित तीन हड्डियों -मेलियस , इन्कस एवं स्टेपीज के द्वारा आन्तरिक कान [Internal Ear] में पहुँचता है और सुनने की नस [Auditory Nerve] द्वारा आन्तरिक कान से मस्तिष्क में सम्प्रेषित होता है | 

 इस कारण हमे ध्वनि का अहसास होता है | यदि किसी कारण से ध्वनि की इन तरंगो में अवरोध पैदा हो जाय तो बहरापन आ जायेगा | 

बहरापन दो प्रक्रार का होता है -

  1. कंडक्टिव बहरापन
  2. सेन्सरीनियूरल बहरापन |

सुनाई देना कम हो जाना या बिल्क़ुल भी सुनाई न देना ही बहरापन कहलाता है | यह रोग किसी गम्भीर बीमारी हो जाने के बाद, चोट लगने के कारण या किसी औषधि के दुष्प्रभाव के कारण अधिकतर होता है | कान का बहना ,दिमाग या गले की बीमारी , लकवा , टायफाइड , मलेरिया , जुकाम का बार -बार होना आदि कारणों से भी रोग हो सकता है | अधिकांश लोग समय के साथ सुनने की क्षमता में धीरे-धीरे कमी महसूस करते है - यह एक प्राकर्तिक प्रक्रिया है | होमियोपैथी चिकित्सा द्वारा सामान्य श्रवण शक्ति बहाल की जा सकती है | कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनमे जन्म से ही पूर्ण या आशिंक रूप से सुनने की क्षमता का अभाव होता है | बहुत सारे बच्चे जन्म से गूंगे -बहरे पैदा होते है और ऐसे बच्चों के लीये होमियोपैथिक में ऐसी दवायें है जिनके प्रयोग से सुनने की क्षमता लायी जा सकती है सुनने में यह बात अविश्वनीय अवश्य लगती है लेकिन शुभम होमियो क्लीनिक का यह सच है |  ऐसे बहुत लोग जो बहरे थे लेकिन इलाज के बाद उनमे सुनने की क्षमता आ गई |

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में बहरेपन का इलाज संभव है। जबकि आधुनिक चिकित्सा में मात्र हियरिंग एड की सलाह दी जाती है या गूंगे बहरे बच्चों को कोच्लेर इम्प्लांट की सलाह दी जाती है। यह बात सुप्रसिद्ध होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ। बीबी मिश्रा ने कही। वह पिछले दिनों रुड़की में आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे। उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर कहा कि होम्योपैथिक चिकित्सा में अधिकांश बधिरों की श्रवण शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।

उत्कृष्ट योगदान के लिए हुए सम्मानित

होम्योपैथिक चिकित्सा में उत्कृष्ट योगदान के लिए उप्र राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस रविंद्र सिंह ने डॉ। बीबी मिश्रा को लीजेंड आफ इलाहाबाद अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि बहुत सारे बच्चे जन्म से गूंगे.बहरे होते हैं और ऐसे बच्चों के लिए होम्योपैथिक में ऐसी दवाएं हैं जिनके प्रयोग से पूर्ण से बहरे बच्चों को सुनने में क्षमता लाई जा सकती है।

कैसे होता है बहरापन

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि यदि किसी कारण से ध्वनि की इन तरंगों में अवरोध पैदा हो जाता है तो बहरापन आ जाएगा। बहरापन दो प्रकार का होता है। कंडेक्टिव बहरापन व सैंसरी। किसी गंभीर बीमारी हो जानेए चोट लग जाने कारण या किसी दवा के दुष्प्रभाव से बहरापन होता है। कान का बहनाए दिमाग या गले की बीमारीए लकवाए टायफाइडए मलेरियाए जुकाम का बार.बार होना आदि बहरेपन का कारण है। होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा सामान्य श्रवण शक्ति बहाल की जा सकती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनमें जन्म से ही पूर्ण रूप से सुनने की क्षमता का अभाव होता है। इनका इलाज भी संभव है।